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Nakoda Bhairav Chalisa | Nakoda Bhairav Chalisa Lyrics
II दोहा II |
पाश्वर्नाथ भगवान की, |
मूरत चित बसाए I |
भैरव चालीसा लिखू, |
गाता मन हरसाए II |
II चौपाई II |
नाकोड़ा भैरव सुखकारी I |
गुण गाये ये दुनिया सारी II (1) |
भैरव की महिमा अति भारी I |
भैरव नाम जपे नर-नारी II (2) |
जिनवर के हैं आज्ञाकारी I |
श्रद्धा रखते समकित धारी II (3) |
प्रातः उठ जो भैरव ध्याता I |
ऋद्धि सिद्धि सब संपत्ति पाता II (4) |
भैरव नाम जपे जो कोई I |
उस घर में निज मंगल होई II (5) |
नाकोड़ा लाखों नर आवे I |
श्रद्धा से परसाद चढ़ावे II (6) |
भैरव-भैरव आन पुकारे I |
भक्तों के सब कष्ट निवारे II (7) |
भैरव दर्शन शक्ति-शाली I |
दर से कोई न जावे खाली II (8) |
जो नर नित उठ तुमको ध्यावे I |
भूत-प्रेत पास आने नहीं पावे II (9) |
डाकण छूमंतर हो जावे I |
दुष्ट देव आडे नहीं आवे II (10) |
मारवाड की दिव्य मणि हैं I |
हम सब के तो आप धणी हैं II (11) |
कल्पतरु है परतिख भैरव I |
इच्छित देता सबको भैरव II (12) |
आधि व्याधि सब दोष मिटावे I |
सुमिरत भैरव शान्ति पावे II (13) |
बाहर परदेशे जावे जो नर I |
नाम मंत्र भैरव का लेकर II (14) |
चोघडिया दूषण मिट जावे I |
काल राहु सब नाठा जावे II (15) |
परदेशा में नाम कमावे I |
धन बोरा में भरकर लावे II ( 16) |
तन में साता मन में साता I |
जो भैरव को नित्य मनाता II (17) |
मोटा डूंगर रा रहवासी I |
अर्ज सुणन्ता दौड्या आसी II (18) |
जो नर भक्ति से गुण गासी I |
पावें नव रत्नों की राशि II (19) |
श्रद्धा से जो शीष झुकावे I |
भैरव अमृत रस बरसावे II (20) |
मिल जुल सब नर फेरे माला I |
दौड्या आवे बादल-काला II (21) |
वर्षा री झडिया बरसावे I |
धरती माँ री प्यास बुझावे II (22) |
अन्न-संपदा भर-भर पावे I |
चारों ओर सुकाल बनावे II (23) |
भैरव है सच्चा रखवाला I |
दुश्मन मित्र को बनाने वाला II (24) |
देश-देश में भैरव गाजे I |
खूटँ-खूटँ में डंका बाजे II (25) |
हो नहीं अपना जिनके कोई I |
भैरव सहायक उनके होई II (26) |
नाभि केन्द्र से तुम्हें बुलावे I |
भैरव झट-पट दौडे आवे II (27) |
भूख्या नर की भूख मिटावे I |
प्यासे नर को नीर पिलावे II (28) |
इधर-उधर अब नहीं भटकना I |
भैरव के नित पाँव पकड़ना II (29) |
इच्छित संपदा आप मिलेगी I |
सुख की कलियाँ नित्य खिलेंगी II (30) |
भैरव गण खरतर के देवा I |
सेवा से पाते नर मेवा II (31) |
कीर्तिरत्न की आज्ञा पाते I |
हुक्म-हाजिरी सदा बजाते II (32) |
ऊँ ह्रीं भैरव बं बं भैरव I |
कष्ट निवारक भोला भैरव ॥ (33) |
नैन मूँद धुन रात लगावे I |
सपने में वो दर्शन पावे ॥ (34) |
प्रश्नों के उत्तर झट मिलते I |
रस्ते के संकट सब मिटते II (35) |
नाकोडा भैरव नित ध्यावो I |
संकट मेटो मंगल पावो II (36) |
भैरव जपन्ता मालम-माला I |
बुझ जाती दुःखों की ज्वाला II (37) |
नित उठे जो चालीसा गावे I |
धन सुत से घर स्वर्ग बनावे II (38) |
भैरु चालीसा जो पढे I |
मन में श्रद्धा धार ।I (39) |
कष्ट कटे महिमा बढे I |
संपदा होत अपार ॥ (40) |
॥ दोहा II |
जिन कान्ति गुरुराज के, |
शिष्य मणिप्रभ राय । |
भैरव के सानिध्य में, |
ये चालीसा जो गाय ॥ (1) |
॥ इति श्री नाकोडा भैरव चालीसा सम्पूर्ण ॥ |