सभी जानकारी पाने के लिए हमसे जुंडे
WhatsApp Group
Join Now
Telegram Group
Join Now
Please Follow On Instagram
instagram
Ganesh Chalisa | Ganesh Chalisa Lyrics | Ganesh Chalisa Lyrics in Hindi
॥ दोहा ॥ |
जय गणपति सदगुण सदन, |
कविवर बदन कृपाल । |
विघ्न हरण मंगल करण, |
जय जय गिरिजालाल ॥ |
॥ चौपाई ॥ |
जय जय जय गणपति गणराजू । |
मंगल भरण करण शुभः काजू ॥ |
जै गजबदन सदन सुखदाता । |
विश्व विनायका बुद्धि विधाता ॥ |
वक्र तुण्ड शुची शुण्ड सुहावना । |
तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन ॥ |
राजत मणि मुक्तन उर माला । |
स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला ॥ |
पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं । |
मोदक भोग सुगन्धित फूलं ॥ |
सुन्दर पीताम्बर तन साजित । |
चरण पादुका मुनि मन राजित ॥ |
धनि शिव सुवन षडानन भ्राता । |
गौरी लालन विश्व-विख्याता ॥ |
ऋद्धि-सिद्धि तव चंवर सुधारे । |
मुषक वाहन सोहत द्वारे ॥ |
कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी । |
अति शुची पावन मंगलकारी ॥ |
एक समय गिरिराज कुमारी । |
पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी ॥ 10 ॥ |
भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा । |
तब पहुंच्यो तुम धरी द्विज रूपा ॥ |
अतिथि जानी के गौरी सुखारी । |
बहुविधि सेवा करी तुम्हारी ॥ |
अति प्रसन्न हवै तुम वर दीन्हा । |
मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा ॥ |
मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला । |
बिना गर्भ धारण यहि काला ॥ |
गणनायक गुण ज्ञान निधाना । |
पूजित प्रथम रूप भगवाना ॥ |
अस कही अन्तर्धान रूप हवै । |
पालना पर बालक स्वरूप हवै ॥ |
बनि शिशु रुदन जबहिं तुम ठाना । |
लखि मुख सुख नहिं गौरी समाना ॥ |
सकल मगन, सुखमंगल गावहिं । |
नाभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं ॥ |
शम्भु, उमा, बहुदान लुटावहिं । |
सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं ॥ |
लखि अति आनन्द मंगल साजा । |
देखन भी आये शनि राजा ॥ 20 ॥ |
निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं । |
बालक, देखन चाहत नाहीं ॥ |
गिरिजा कछु मन भेद बढायो । |
उत्सव मोर, न शनि तुही भायो ॥ |
कहत लगे शनि, मन सकुचाई । |
का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई ॥ |
नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ । |
शनि सों बालक देखन कहयऊ ॥ |
पदतहिं शनि दृग कोण प्रकाशा । |
बालक सिर उड़ि गयो अकाशा ॥ |
गिरिजा गिरी विकल हवै धरणी । |
सो दुःख दशा गयो नहीं वरणी ॥ |
हाहाकार मच्यौ कैलाशा । |
शनि कीन्हों लखि सुत को नाशा ॥ |
तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो । |
काटी चक्र सो गज सिर लाये ॥ |
बालक के धड़ ऊपर धारयो । |
प्राण मन्त्र पढ़ि शंकर डारयो ॥ |
नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे । |
प्रथम पूज्य बुद्धि निधि, वर दीन्हे ॥ 30 ॥ |
बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा । |
पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा ॥ |
चले षडानन, भरमि भुलाई । |
रचे बैठ तुम बुद्धि उपाई ॥ |
चरण मातु-पितु के धर लीन्हें । |
तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें ॥ |
धनि गणेश कही शिव हिये हरषे । |
नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे ॥ |
तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई । |
शेष सहसमुख सके न गाई ॥ |
मैं मतिहीन मलीन दुखारी । |
करहूं कौन विधि विनय तुम्हारी ॥ |
भजत रामसुन्दर प्रभुदासा । |
जग प्रयाग, ककरा, दुर्वासा ॥ |
अब प्रभु दया दीना पर कीजै । |
अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै ॥ 38 ॥ |
॥ दोहा ॥ |
श्री गणेश यह चालीसा, |
पाठ करै कर ध्यान । |
नित नव मंगल गृह बसै, |
लहे जगत सन्मान ॥ |
सम्बन्ध अपने सहस्त्र दश, |
ऋषि पंचमी दिनेश । |
पूरण चालीसा भयो, |
मंगल मूर्ती गणेश ॥ |